समाज परिवर्तन में युवाओं की भूमिका
(अखिल भारतीय बढ़ई महासभा) युवा को अगर उल्टा करके हम पढें तो हमारे समक्ष ‘वायु’ प्रकट हो जाती है। जिस प्रकार वायु मानव शरीर के लिए आवश्यक है, उसी प्रकार युवा शक्ति किसी भी सामाजिक संगठन के लिए आवश्यक है। युवा शक्ति और युवा कंधे किसी भी समाज की अमूल्य धरोहर और बहुमूल्य सम्पदा होती हैं। इस बात को युवाओ ने हर युग और अतीत में साबित भी किया हैं। युवाओ में अंसभव के पार देखने की अद्भुत क्षमता होती है। उनके अंदर के जोश और अंसभव को संभव करने के बल के कारण ही हर समाज सदैव युवा शक्ति से एक विशेष टकटकी लगाये रहता हैं।
आज का युग चुनौतियों का युग है, इसमें संस्कृति को जीवित रखने का दायित्व सिर्फ संगठन का ही नहीं बल्कि बुजुर्गो के साथ युवा वर्ग का भी बनता है। इतिहास गवाह है सदैव युवा वर्ग ने मानवीय मूल्यों को अपनाया है।
अन्याय, शोषण और उत्पीडऩ के खण्डहरों पर युवा हाथों से ही आजादी का गौरव हमने पाया है। जवानी उसकी आयु का चरम क्षण होता है। अगर सच कहूं तो जवानी की उमंगे सागर को मात करती है।
जवानी की कल्पनाएं आकाश को भी छोटा साबित कर देती है। युवा वर्ग जिस भी कार्य का बीड़ा उठाता है, वह उसे अंजाम तक पहुंचाना जानता है। तकनीक के इस युग में माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, एप्पल, फेसबुक, ट्विटर, याहू, अमेज़न, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, विप्रो जैसी कई बड़ी- बड़ी कंपनियों का दारोमदार युवा कंधो पर ही है। यही युवा शक्ति अगर अपने सामाजिक दायित्वों और कर्तव्यों से परिचित हो जाये तो निसंदेह उस समाज को तरक्की करने से कोई नहीं रोक सकता है।(इसका तात्पर्य यह कतई नही की बुजुर्गों की भूमिका नगण्य है।
बुजुर्ग तो हमारे धरोहर है मार्गदर्शक है संरक्षक है ) लेकिन आज की व्हाट्सएप्प फेसबुक टीबी संस्कृति ने युवा वर्ग को अपने माया जाल में इस प्रकार उलझा लिया है कि वह भटकने लगा है । अपनी सामाजिक संस्कृति को भूल कर अन्य विदेशी संस्कृति में रंगने लगा है । जिसका दुष्परिणाम सामने आ रहा है। आज के युवकों को सामाजिक संगठन के हित पर चर्चा करना, समय नष्ट करना प्रतीत होता है। यह शुभ लक्षण नहीं है ।
जातीय सामाजिक संगठन एक विशाल परिवार होता है । जैसे अखिल भारतीय बढ़ई महासभा : जो भूमिका युवा वर्ग की परिवार में होती है वही संगठन के प्रति भी होनी चाहिए । हर सामाजिक संगठन का भविष्य उसके युवा वर्ग पर निर्भर होता है।
अत: युवा वर्ग को अपने उत्तरदायित्व को समझना चाहिए और जहां भी हो, जिस भी पद पर हो, जिस भी स्थिति में हो वहीं अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। युवा वर्ग अपने जातीय संगठन में अनेक प्रकार से योगदान कर सकता है । वह अपना कीमती समय निकालकर जातीय संगठनों के कार्यक्रम में भाग ले, अपने परिचितों रिश्तेदारों को महासभा से जोड़े अन्य बंधुओं को अच्छे कार्य करने के लिये प्रेरित करे,
मार्गदर्शित करे और बुरे व्यसनों से दूर रहने के सुझाव दे। शिक्षा के लिए प्रेरित करें राजनीतिक चेतना जगायें।साथ ही उसे अपने जातीय सामाजिक संगठन का आदर करना चाहिए, जाति पर गर्व करना चाहिए और उसे अपने जीवन में झलकाना भी चाहिए। इस दौरान उसे समाज के ही कई षड्यंत्रकारियों का सामना भी करना पड़ेगा जैसे समाज को बांट रहे हो जातिवाद फैला रहे हो, उसे इन षड्यंत्रों से दूर रहकर बढ़ई समाज के हित के लिए जो भी आवश्यक हो, उसके लिए आगे आना चाहिए।
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